কাত্যায়নী দেবীর কবিতা
অনুবাদঃ দেবাশীষ বরাট
लौह पुरुष
आज भी
लोहे के ही बनते हैं
लौह पुरुष
जंगरोधी इस्पात के
आविष्कार के बावजूद।
नहीं हैं लौह पुरुष,
अड़ जाते हैं
खड़े-खड़े
जंग खाकर
झड़ जाते हैं।
অনুবাদঃ দেবাশীষ বরাট
লৌহপুরুষ
আজও
লোহা দিয়েই তৈরি হন
লৌহপুরুষ
যদিও জং লাগে
না
যে ইস্পাতে
তা
আবিষ্কার হয়ে
গেছে
বহু যুগ আগে
লৌহপুরুষেরা
বদলান না
দাঁড়িয়ে থাকেন
অটল-অবিচল
মরচে ধরে
সারা গায়
ঝরে পড়ে
ঝরে যান শেষে।लौह पुरुष
आज भी
लोहे के ही बनते हैं
लौह पुरुष
जंगरोधी इस्पात के
आविष्कार के बावजूद।
नहीं हैं लौह पुरुष,
अड़ जाते हैं
खड़े-खड़े
जंग खाकर
झड़ जाते हैं।
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